शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

नेटवर्क मार्केटिंग (डायरेक्ट सेलिंग) क्यो जरूरी है ?


नमस्कार दोस्तों,
     
   



              नेटवर्क मार्केटिंग (डायरेक्ट सेलिंग)  क्यो जरूरी है ?



        यार एक बात बताओ, आज आप काम  करते हो शायद 8,10 या फिर 12 घंटे, आप जो आज इतनी मेहनत करते हो किसके लिए ? आपका जवाब होगा अपने परिवार के लिए। रूकिए जनाब आपका जवाब  गलत  है।
 
 

         आइए जानते हैं कैसे ?


        आपके आमदनी का लगभग एक तिहाई हिस्सा आपके परिवार का भरण-पोषण में खर्च हो जाता है  यह सभी समान आप अपने नज़दीकी किराना की दुकान से लाते हैं। अब दुकानदार अपने दुकान में वह समान बनाता नहीं है।


         दुकानदार के पास समान आता है डिस्ट्रीब्यूटर से। डिस्ट्रीब्यूटर के पास समान आता है होलसेलर के पास से। होलसेलर के पास समान आता है नेशनल स्ट्राकिस्ट के पास से। नेशनल स्टॉकिस्ट के पास आता कंपनी से। कंपनी अपने यहां  समान का उत्पादन बड़ी संख्या में करती है।


        मान लिया कि कंपनी जिस समान का उत्पादन किया उसकी लागत 40 रुपये आई जिसमें कंपनी के मालिक का फायदा भी शामिल हैं। कंपनी अपने उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए प्रचार करती है जिसके कारण समान की किमत बढ़कर 60 रुपये हो जाती है।



       कंपनी अपने समान को लोगों तक पहुंचाने के लिए नेशनल स्टॉकिस्ट के पास भेजती है यहां तक पहुंचते ही समान कि किमत बढकर 70 रुपये हो जाती है क्योंकि यहां पर ट्रांसपोर्ट का खर्च, समान कि लोडिंग- अनलोडिग का खर्च समान को रखने के लिए गाले का खर्च , और मजदूरों का खर्च बढ जाता है। नेशनल स्टॉकिस्ट समान आगे होलसेलर के पास पहुंचाता है। यहां पर भी वहीं खर्च आता है जिससे समान की किमत बढकर 80 रूपये हो जाती है। होलसेलर यही समान डिस्ट्रिब्युटर के पास भेजता है। और समान की किमत फिर एक बार बढकर 90 रूपये हो जाता है। जब यह समान डिस्ट्रिब्युटर दुकानदार को देता है तब समान की किमत 100 रुपये हो जाता है।




           इस तरह के व्यवसाय को ट्रेडिशनल व्यवसाय कहा जाता है। आपके पास आज जो भी समान आता है इन बिचौलियों के माध्यम से आता है। जिसके कारण हर समान की किमत 60% से लेकर 80% तक बढ जाती है।



             यदि आप अपने घर का समान 10000 रुपये देकर  खरीद रहे हैं। तब उस समान की असली किमत मात्र 4000 रूपये होती है। बाकि का रुपया इन बिचौलियों के पास जाता है जो कि आपके मेहनत का रूपया होता है। जिस रुपये पर आपके परिवार का हक है वह रुपया किसी और के परिवार के काम आता है।




               यही बिचौलिये आपकी मेहनत में हिस्सेदार है ! 


               यही  बिचौलिये आपकी तनख्वाह में हिस्सेदार है ! 


               अब आप अपने आप से पूछो ?




               आप किसके मेंहनत के हिस्सेदार हो ?


                आप किसके तनख्वाह के हिस्सेदार हो ?




        अब आप सोच रहे हैं कि मैं यदि ट्रेडिशनल व्यवसाय से समान नहीं खरीदी करु फिर कहा से खरीदी करू ?



 

         डायरेक्ट सेलिंग (नेटवर्क मार्केटिंग)  कंपनी से। 

       

         क्यो करू मै ?


          क्योंकि डायरेक्ट सेलिंग कंपनी से आप डायरेक्ट कंपनी से अपनी रोजमर्रा के जीवन की वस्तुओं को कंज्यूमर की हैसियत से नहीं बल्कि डिस्ट्रिब्युटर की हैसियत से समान खरीदते हो। इस व्यवसाय में डायरेक्ट सेलिंग कंपनी और आपके बीच में कोई भी बिचौलियों के न होने के कारण 60% से 80% तक का फायदा डायरेक्ट सेलिंग कंपनी सीधा आपको देती है



             इसलिए इस व्यवसाय को लोगों का व्यवसाय कहा जाता है। 





             आज के दौर में हर कोई अपना काम करते हुए डायरेक्टर सेलिंग व्यवसाय कर रहा है और आप ?


         

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