शनिवार, 9 मई 2020

History of Network Marketing (Direct Selling) in hindi

   नेटवर्क मार्केटिंग (डायरेक्ट सेलिंग) का इतिहास



       नमस्कार दोस्तों इस लेख में हम आपको नेटवर्क मार्केटिंग उद्योग के इतिहास के बारे में जानकारी देने वाले हैं कि यह व्यवसाय कब से चल रहा है। 






       सन 2000 ई.पू से नेटवर्क मार्केटिंग (डायरेक्ट सेलिंग) उद्योग का चलन हमारे समाज में चल रहा है। उस समय लोगों की प्रत्यक्ष बिक्री के लाभ, उन्नति और अखंडता की रक्षा के लिए बेबीलोनियन प्रत्यक्ष बिक्री (डायरेक्ट सेलिंग) कानून बनाकर किए गए। जिसे पेडलर कहा जाता था।






      लगभग 5 वी शताब्दी में ग्रीस देश में यह व्यवसाय की शुरुआत हुई। उस समय  नेटवर्क मार्केटिंग (डायरेक्ट सेलिंग) उद्योग ग्रीस देश में इतनी तेजी के साथ बढा। जिसके कारण इस उद्योग ने मध्य युग के समय अपनी अहम भूमिका अदा की।





       19 वी और 20 वी शताब्दी में अमेरिका के ईयांकी पेडलर ने लाकर जारी रखा जिनके पास  पश्चिम की सीमाओं और उत्तर में कनाडाई क्षेत्र की आपूर्ति की जिम्मेदारी थी। अमेरिका के लोगों ने इस व्यवसाय को इतना आगे बढाया जिसके कारण वहां के हर एक लोगों ने जो कि अलग क्षेत्रों से आते हैं उन्होंने अपनी जीवन की गुणवत्ता का विकास में सुधार अपनी मनपसंद वस्तुओं की खरीद - बिक्री से की। इस व्यवसाय के कारण सामाजिक संपर्क सुविधाजनक बना। हर एक अमेरिकी नागरिक अपने क्षेत्र के कामों को बिना किसी रुकावट, अडचन या कठिनाई के अपने मनपसंद उत्पादों को लोगों को बताकर आमदनी का एक नया रास्ता निकाला।




      सन 1886 में प्रत्यक्ष बिक्री की एवाँन नाम की कंपनी ने अपने प्रतिनिधियों के लिए कमाई का अवसर प्रस्तुत किया। इस कंपनी के सलाहकार श्रीमती पी. एफ. एलबी ने अपनी जिम्मेदारी पर घर घर जाकर लोगों को अपने उत्पादों के बारे में लोगों को अवगत कराया। इस तरह उन्होंने अपनी कॅरिअर की सुरूवात उस कंपनी के परफ्यूम बेचकर की। पर्सिस फोस्टर एम्स एलबी की सफल मार्केटिंग तकनीकों और अन्य बिक्री कर्मियों की भर्ती और प्रशिक्षण के कारण उन्हें पहली एवॉन लेडी माना जाता है।






      सन 1910 में द एजेंटस क्रेडिट असोसिएशन का गठन संयुक्त राज्य अमेरिका में डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन (डी एस ए) द्वारा किया गया इसका मकसद उन कंपनियों की देखभाल करना था जो डायरेक्ट सेलिंग उद्योग (नेटवर्क मार्केटिंग) में शामिल हो रही थी।






       सन 1930 आते - आते पार्टी प्लान के रुप में इस उद्योग को ख्याति प्राप्त हुई। पहली बार इन होम प्रस्तुति पद्धति का उदय हुआ। इसके इतना ख्याति प्राप्त करने के कारण  स्टेनली होम प्रोडक्ट्स ने एक पार्टी प्लान विधि और होस्टेस रिवार्ड संरचना बनाई। इसी दौरान अमेरिका के रसायनज्ञ कार्ल एफ रेहानबरग ने अपने विटामिन उत्पाद विकसित किए। जब वे चीन में 1917 से 1927 के बीच में थे तब उन्हें विटामिन और पोषक तत्वों के प्रभावों और उसकी महत्वा समझ में आने के बाद उन्होंने अमेरिका में आकर कैलिफोर्निया विटामिन कंपनी की शुरुआत करके विटामिन बेचना शुरू कर दिया। सन 1939 में इसका नाम बदल कर न्युट्रिलाइट कर दिया गया। नेटवर्क मार्केटिंग (डायरेक्ट सेलिंग) का पहला प्लान 1945 में दो कैलिफोर्नियन ली. मार्टिन और विलियम कसैलबेरी ने न्युट्रिलाइट कंपनी के लिए बनाया।




      सन 1951 में टपरवेयर कंपनी ने खुदरा योजना के माध्यम से और पार्टी प्लान विधि के माध्यम से खुदरा बाजार दुनिया में प्रवेश किया उनके इन होम प्रदर्शन दृष्टिकोण इतना   सफल हुआ कि उन्होंने अपने सभी उत्पादों को खुदरा दुकानों से वापस ले लिया और सीधे डायरेक्ट सेलिंग (नेटवर्क मार्केटिंग) उद्योग के माध्यम से वितरण शुरू किया।






      सन 1963 ईस्वी में अपने जीवन की सभी जमापूंजी को मैरी के ऐश ने अपनी लाँन्च किए गए डायरेक्ट सेलिंग उद्योग में निवेश कर दिया। उनकी कंपनी ने अपने इस प्रयास, उत्साह और प्रेरणा और संस्कृति के बलबूते कई पुरस्कार प्राप्त किए इसी समय कई अविश्वसनीय कंपनिया इस व्यवसाय के माध्यम से सफल होने लगी।






       सन 1991 में कंप्यूटर की दुनिया में इंटरनेट ने इस उद्योग के विकास में अहम भूमिका निभाई। नेशनल साइंस आफ फाउंडेशन इंटरनेट के व्यवसायिक उपयोग की अनुमति के कारण इस उद्योग की बिक्री में काफी प्रगति देखी गई है डायरेक्ट सेलिंग (नेटवर्क मार्केटिंग) उद्योग आज तेजी के साथ इस इंटरनेट और प्रौद्योगिकी के युग में बढ रही है जिसकी कल्पना बेबीलोनियन के समय में कभी नहीं की गई थी कि यह उद्योग इस तरह से बढता और पनपता रहेगा।






         आज बहोत देश अपने अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए इस उद्योग को प्रोत्साहित अपने देश में कानून बनाकर कर रहे हैं। इस कानून के माध्यम से डायरेक्ट सेलिंग की विश्वसनीयता लोगों में बढी है। यह कानून इस व्यवसाय के कल्याण और अखंडता की रक्षा करने के लिए संघ का निर्माण करती है।





          सन 1995-1996 में भारत में कुछ कंपनियां डायरेक्ट सेलिंग कारोबार कर रही थी और उन लोगों की देखा-देखी काफी कंपनी इस व्यवसाय से जुड़ रही थी फिर भी यह व्यवसाय अपने कठिन दौर से गुजर रही थी क्योंकि इसमें लगातार काम करना पड़ता है जिसे ग्रे मार्केटिंग भी कहा जाता है। भारत में आय डी एस ए के  माध्यम से इस व्यवसाय की देखभाल और विकास किया जाता है। भारत में आय डी एस ए एक स्वतंत्र निकाय है जो कि डायरेक्ट सेलिंग उद्योग और इसके प्रतिनिधियों के बीच में समन्वय स्थापित करती है।




           2003 से 2005 तक  भारत में आई डी एस ए (IDSA) और डायरेक्ट सेलिंग (नेटवर्क मार्केटिंग) उद्योग के प्रतिनिधियों ने सरकार से सिफारिश की कि उचित कानून बनाकर इस व्यवसाय के विकास और बिक्री को बढाया जाए जिससे देश की अर्थव्यवस्था को बल मिल सके।

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